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ધોરણ :- 6 | હિન્દી | સેમ :-2 | પ્રકરણ :- 4 | पुस्तक हमारी मित्र

 નમસ્કાર , 

આ પોસ્ટમાં આપ ધોરણ :-6 , હિન્દી , સેમ :-2 માં પ્રકરણ :-4 માં પત્ર વિષે માહિતી મેળવી શકશો. જેમાં વિસ્તાર થી સ્ટોરી આપેલ છે સાથે સાથે સ્વ મૂલ્યાંકન માટે ટેસ્ટ પણ આપેલ છે. 

१९५ - उमियानगर  सोसाइटी ,

मुंद्रा ,

जिल्ला – कच्छ

दिनांक :- ०४-०८-२०११

प्रिय मनोज ,

नमस्ते

मैं यहां सकुशल हो। आशा हे वहां सभी कुशल से होंगे। पिछले कई दिनों से तुम्हें पत्र लिखने को सोच रहा था, परंतु हमारी पाठशाला में वाच्य गुजरात अभियान अंतर्गत कई प्रवृतियां चल रही थी, इनमें मैं सम्मिलित हो गया था। मित्रा तुम भी वाचे गुजरात अभियान में सम्मिलित हुई होगी। अभियान के संदर्भ में राज्य सरकार ने भी एक सूत्र घोषित किया था। जो पुस्तक के मित्र है वह मेरे भी मित्र।

मैं आज तुमको पत्र के माध्यम से किताबों का महत्व के बारे में लिख रहा हूं। किताबे हमें सभी की मित्र है वह हमें नया ज्ञान देती है एवं प्ले बुरे का फर्क बताती है। पूजा गांधी जी ने कहा था कि, पुस्तके मन के लिए साबुन का काम करती है। मन में जो अदनान है अंधकार है उसे मिटा कर नान का संचार करती है।

किताबे ज्ञान का स्त्रोत है जिसमें जिज्ञासा की पूर्ति होती है इतना ही नहीं नाम और विज्ञान का गतिमान रखती है। किताबे मूल्यवान है हमें इनको पढ़कर हमारे जीवन को सजाना एवं सवारना है। मित्रा में ऐसा कहना चाहता हूं कि मुझे पैसा नहीं पुस्तक चाहिए।जन्मदिन के अवसर पर पुष्प का गुलदस्ता नहीं बल्कि किताबों की भेंट देनी चाहिए। पुस्तक हमारी मित्र है और रहेगी। उनको पढ़कर ज्ञान अर्जन करने की जिम्मेदारी हम सभी की है।मैंने हर रोज अच्छी किताब का एक पन्ना पढ़ना शुरू कर दिया है। मेरी आशा है कि तुम भी ऐसा करोगे।

चलो आज से संकल्प करते हैं कि दोस्तों के जन्मदिन या शुभ अवसर पर शुभकामना के साथ-साथ किताबों की मूल्यवान बैठ देंगे।

अब हमें भूखे नहीं पर बुक चाहिए परिवार के सभी बड़ों को मेरा प्रणाम।

तुम्हारा दोस्त,

पूजन


शब्दार्थ

अभियान – जूम्बेश

जिज्ञाशा – ज्ञान प्राप्त करनेकी उत्सुकता

गुलदस्ता – सुन्दर फूलो और पतिओका बना हुआ गुच्छ

 


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